something about the blog..

जो कुछ भी सही और साफ़ मेरे मन में आता है मैं बस वही इस ब्लॉग में लिखता हूँ.. वेंसे भगवान की दया और कुछ बेवफाओं की असीम कृपा से जो कुछ भी लेखन की कला मेरे दिलो दिमाग में बस गई है , उस लेखन कला का मैं न के बराबर अंश ही इस ब्लॉग में प्रस्तुत करता हूँ बाकी असल में जो मेरी लेखन कला है उसका इस्तेमाल तो सही वक़्त आने पर ही करूँगा.. वो क्या है कि रामबाण का इस्तेमाल उचित समय के आने पर ही किया जाता है ..

लेखन ही मेरा जीवन है तो लेखन ही मेरी कला है
इस लेखन को लेकर ही प्रीतम अब तक चला है

:- प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"

19 March 2016

तेरे दीदार के खातिर तेरी राह पर चलता रहा मैं ऐ रब मगर अब तू मुझे मिल भी जाये तो तुझे देखूँ तक नहीं ©tammathewriter.blogspot.in

तेरे दीदार के खातिर तेरी राह पर चलता रहा मैं ऐ रब
मगर अब तू मुझे मिल भी जाये तो तुझे देखूँ तक नहीं

©tammathewriter.blogspot.in

09 March 2016

इलज़ाम लगाना ठीक नहीं

अब तू करे वफ़ा या करे दगा

बुझने के बाद मेरे दिल में फिर दीप जगा

ओ साल पिछले मिलके तुमसे ऐंसा लगा

जैंसे ये"प्रीतम" खुद "प्रीतम" से ही मिला

फिर फूल प्रेम का तेरे-मेरे दिल में खिला

पर मुझको है मिलती महोब्बत की सजा

मेरी किस्मत में लिखी मेरे रब ने बस दगा

अब तू मुझसे करे दगा या फिर करे वफ़ा

मैं तेरा बना हूँ, तेरा हूँ, तेरा ही रहूँगा सदा

©तम्मा