मत पूछ ऐ दोस्त क्यूँ लिखता है उदास शायरी प्रीतम अपनी जिंदगी में
जवाब हर एक दफन मेरे सीने में कैंसे बताऊँ मैं दर्द दोस्तो की खुशी में
बस इतना जान लो कल तबाह हो चुका था जो प्रीतम इस दिल्लगी में
वो आज बिंदास ही रहता है हर दिन हर पल हर रात हर एक घड़ी में
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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मैं आज प्यार के खिलाफ नहीं है बस प्यार को खेल समझने वालों के खिलाफ हूँ
इसलिए प्यार की बातों को लेकर मैं कभी ठंडा तो कभी कभी जलती हुइ आग हूँ
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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आप प्यार करोगे इस प्रीतम से तो वो प्यारा है
नफरत करोगे इस प्रीतम से तब भी वो प्यारा है
जो अपने लेखन से करने चला है रोशन दुनिया
ये प्रीतम फ्यूचर में वही चमकने वाला तारा है
©शायर-प्रीतम नेगी"तम्मा"
____________________________________________________________सोना चाहता हूँ किसी रात को मैं
वो नींद अपनी चार साल पुरानी
कि आज मुझे वो नींद आती नहीं
है ये बड़ी इस "प्रीतम" की परेशानी
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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तू बहुत बुरा है "प्रीतम" बहुत ही बुरा, अब तुझे तेरी अच्छाइयों से सख्त नफरत है
हर कोई करे तुझसे हद से ज्यादा नफरत, अब तेरे दिल की बस यही एक हसरत है
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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आज तक प्रीतम तू ख़ुद ही नही समझ पाया तो क्या कोई तुझे समझेगा
दुनिया जैंसी है वैंसी ही रहने दे अब तेरी क्या औकात जो तू इसे बदलेगा
किसी के मामले में मत पड़ चाहे उन्हे कुछ हासिल ना हो उनके मामले से
तू प्रीतम बहुत बूरा है अपने लिए अब क्या टूटकर अपने हाथ कटवायेगा
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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हमेशा सबका भला चाहा प्रीतम ने तो हमेसा अपना ही बूरा पाया प्रीतम ने
जुर्म था बड़ा ये या फिर नादानी जो हर वक्त ख़ुद का दिल दुखया प्रीतम ने
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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अब ना देना सलाह किसी को प्रीतम कि अब सलाह लेने केए जरूरत ख़ुद तुझे है
लोग भले ही कितने भी अच्छे क्यूँ ना हो मगर काम अपनी मर्जी से किया करते हैं
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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पता नहीं क्यूँ हर शायर दिल से टूटा हुआ होता है
आगे होकर भी शायर क्यूँ पीछे छूटा हुआ होता है
पता नही क्यूँ हर शायर ख़ुद से रूठा हुआ होता है
बाँटता फिरे दर्द और दर्द से ही लूटा हुआ होता है
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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तेरा दर्द ही तेरी दवा है "प्रीतम" तुझे किसी ओर दवा की जरूरत नहीं
दर्द में ही मस्त रहता है तू कहीं ओर तुझे मस्त होने कि फुरसत नहीं
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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तेरी कलम का क्या "प्रीतम" वो तो चल ही पड़ती है सोचते-सोचते
तू क्या रोकेगा दर्द-ए-शायरी वो तो होती रहेंगी दर्द को रोकते-रोकते
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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यादों के पन्नो को जिंदगी की किताब से निकाल फेको
ज़िंदगी बेहद खूबसूरत है एक बार ऐंसा करके तो देखो
@प्रीतम"तम्मा"
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प्यार भरा सच्चा दिल तोड़ने वालों को बददुआ देने की जरूरत नहीं "प्रीतम"
एक दिन उनका किया धरा ही उनके लिए किसी बददुआ से कम नहीं होता
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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वक्त रहते संभल जाओ मेरे दोस्तो ये खेल महोब्बत का बहुत बुरा होता है
जिस दिल पे मरहम लगाते हैं लोग उसी दिल के लिए दर्द का छुरा होता है
छुरा चुभता हैं दर्द का दिल पर और आँखों से आँसू बनकर खून निकलता है
आँसू कुछ तो कहते नहीं मगर इन आँसुओं में ही तुम्हारा अंत छुपा होता है
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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तेरी कलम ही तेरी ताकत है "प्रीतम" इसी के बलबूते ही तो तू जीता है
वो बात अलग है कि तू कभी-कभी अश्क शराब में मिलाकर तू पीता है ©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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दिल से...दिल तक...
निकला हूँ फिर से सालों बाद सच्ची महोब्बत की तलाश में
एक सच्चे टूटे दिल के अलावा कुछ भी नहीं है मेरे पास में
जिसको हो कदर सच्चे दिल की वो ही मेरे पास आना अब
कोई मिलेगा ऐंसा कमी सी आने लगी मेरे इस विश्वास में
फिर खुदा ने कोई तो बनाया होगा ऐंसा वो दयावान है बड़ा
अब तो जीता जाता है ये "प्रीतम" बस इसी एक आस में ©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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देखा है मैने आजकल किशोर बच्चो को प्यार करते हुए
छोटी-छोटी बेमतलब की बातों पर एक-दूजे से लड़ते हुए
प्यार का मतलब जानते ही नहीं और छोड़ देते हैं साथ
फिर बहुत ही जल्द थाम लेते हैं दूसरे का हाथ हँसते हुए
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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जिनकी वजह से टूटा था कभी उनकों ख़बर ही नहीं "प्रीतम" मुर्दा है या जिंदा है
वो खुश तो हैं मगर खुल ना जाये उनका राज़ उन्हे सिर्फ़ इसी बात की चिंता है
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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पता नहीं यारों कब तक है जान मेरे सीने में
पर जब तक है तब तक ऐंसे ही जीता रहूँगा
बाँटता फिरुंगा दुनिया में महोब्बत के अफसाने
और हमेशा तन्हाई में जहर-ए-दगा पीता रहूँगा
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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मत बहने इन आँसुओं को कभी जमाने के सामने
आजकल मतलबी लोग इनकी कीमत नहीं समझते
बहुत से लोग आयेंगे इन आंसुओ को पोंछने मगर
आँसू बहाने वाले यूँ किसी की नीयत नहीं समझते
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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दोष देता रहा "प्रीतम" औरों को मगर आज कुछ ओर ही सच्चाई निकली
सोचा गहराई से तो जाना रे "प्रीतम" तेरी दुश्मन तो तेरी अच्छाई निकली
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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दिल की गहराई से "प्रीतम" एक ऐंसे साथी की तलाश है मुझे
जो मुझे समझे या फिर ना समझे मगर हर किसी को समझे
सदा हर किसी का मान रखे और अपने घर का सम्मान रखे
मुश्किल आजकल वो साथी पाना मगर फिर भी आस है मुझे
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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हर किसी से बात करता हूँ तो हर किसी का ख्याल रखता हूँ
इसे मेरी सादगी समझो या मेरा जुर्म जो मैं बार बार करता हूँ
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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सुना है अक्सर तन्हाई में वो अपने किये हुए गुनाह को याद करके रो पड़ते हैं
बाद में ऐंसे ही घुट-घुट कर जीते हैं वो सच्ची महोब्बत में बेवफाई जो करते हैं
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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तन्हा हूँ मगर अब ये तन्हायी कहीं भी दिखती नहीं
दोस्तो के साथ हँसी मजाक में कहीं ये टिकती नहीं
शुक्रिया दोस्तों "प्रीतम" को नई जिंदगी देने के लिए
बिक जाता है प्यार मगर ये दोस्ती कहीं बिकती नहीं
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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यूँहि किसी को अपनी जिंदगी कि किताब नहीं देते
जब तक ना हो विश्वास तब तक हिसाब नहीं देते
कहते हैं "प्रीतम जी" सोच समझकर ये मेरे दोस्तो
ख़ुद हारकर किसी को बेवजह यूँहि जिता नहीं देते
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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वो "तम्मा" ही क्या जो टूटकर बिखर जाए
जो रास्ता बंद पर सोचे कि वो किधर जाए
"तम्मा" तो वो जो खिंजा में भी निखर जाए
मंज़िल वही आ जाती वो जहां जिधर जाए
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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कम्बक्त दर्द जगाने की कोशिश करता हूँ इस दिल में मगर दर्द है कि जगता ही नहीं
इतना बेदर्द हो गया है मेरा दिल कि तन्हाई के सिवाया कम्बक्त कहीं लगता ही नहीं
कितनी चोटें खायी और कितना दर्द सहा ये याद तक नहीं कर पाता आज ये "प्रीतम"
सपने चाहतों के टूटे इस कदर कि इन आँखों में अब सपना चाहत का जागता ही नहीं
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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मुझसे दोस्ती करने वाला हर एक शक्श वो खुश रहे मैं अकसर यही दुआ करता हूँ
कि छुपाकर अपने दर्द-ए-दिल को मुस्कराते हुए सदा मैं सबका दर्द सुना करता हूँ
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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महोब्बत की गलियों में ए "प्रीतम" उन्हे आज भी कोई ठिकाना ना मिला
बदलते फिरते हैं वो आशिक़ बार-बार उन्हें तुझ सा कोई दीवाना ना मिला
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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मैं तम्मा ये मौहल्ला और ये शहर छोड़ने की सोच रहा हूँ
बहुत कुछ खोया यहाँ अब खुद को खोने से रोक रहा हूँ
चल पड़ा हूँ दो ओर कदम अपनी मंजिल की और दोस्तों
याद रखूँगा वो सब मगर बाकी सब यादो को छोड़ रहा हूँ
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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कल ख़ुद ही मुझे अपना बतायेंगे आजतक मुझे ठुकराने वाले
मगर हम उनमें से किसी को भी कभी अपना नही बताने वाले
उन्होने सिखाया है मुझे जो सबक वो तो सदा याद रहेगा ही
आखिर इसी सबक के बलबूते ही हम कल जहाँ में छाने वाले
गुड़गाँव से लेकर देहरादून तक बहुत से सबक सीखें हैं हमने
हम भूल चुके उनकों पर हमे ना भूलें हमे सबक सिखाने वाले
भूलेंगे भी कैंसे आख़िर मेरे साफ़ दिल से खेला हैं उन सभी ने
टूटे दिल वाले भूल जाते हैं पर नही भुल सकते दिल तोड़ने वाले
किया पाप हर किसी को याद रहता है चाहे पुण्य याद रहे ना रहे
इस बात को सदा यूँ याद रखेंगे सदा दिल लगाने या जलाने वाले
तम्मा उन पे हथियार से नही बस अपनी शायरी से वार करता है
हम तो ठहरे हर शायरी में किसी ना किसी पे निशाना लगाने वाले
समझने वाले समझ जाते हैं और ना समझ बस चुप रह जाते हैं
अब ख़ुद की लिखी जीवनी में हम सबका नाम सामने लाने वाले
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
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तम्मा भाई ने आजतक हर उस लड़की को उनकी जिंदगी में खुश ही पाया है
जिसने कभी न कभी अपनी चाहत में अपने चाहने वाले का दिल दुःखाया है
सोचता तम्मा कि क्यूँ आजकल सिर्फ धोखा देने वाले ही खुश रहते है ताउम्र
रोता रहता है हमेशा वही उम्र भर जिसने सच्चे दिल से दिल अपना लगाया है
क्यों होता है ऐंसा कि जो उन्हे अपनी करनी का जरा भी अफ़सोस नहीं होता
कैंसे ख़ुशी-ख़ुशी जी लेते हैं वे बेवफा लोग जिन्होंने अपने प्यार को रुलाया है
इस सवाल का जवाब तुझे कहाँ मिलेगा ऐ मेरे टूटे दिल
मतलब परस्त दुनिया में मुझे लगे हर कोई तेरा कातिल
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
____________________________________________________________जिसने कभी न कभी अपनी चाहत में अपने चाहने वाले का दिल दुःखाया है
सोचता तम्मा कि क्यूँ आजकल सिर्फ धोखा देने वाले ही खुश रहते है ताउम्र
रोता रहता है हमेशा वही उम्र भर जिसने सच्चे दिल से दिल अपना लगाया है
क्यों होता है ऐंसा कि जो उन्हे अपनी करनी का जरा भी अफ़सोस नहीं होता
कैंसे ख़ुशी-ख़ुशी जी लेते हैं वे बेवफा लोग जिन्होंने अपने प्यार को रुलाया है
इस सवाल का जवाब तुझे कहाँ मिलेगा ऐ मेरे टूटे दिल
मतलब परस्त दुनिया में मुझे लगे हर कोई तेरा कातिल
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"