something about the blog..

जो कुछ भी सही और साफ़ मेरे मन में आता है मैं बस वही इस ब्लॉग में लिखता हूँ.. वेंसे भगवान की दया और कुछ बेवफाओं की असीम कृपा से जो कुछ भी लेखन की कला मेरे दिलो दिमाग में बस गई है , उस लेखन कला का मैं न के बराबर अंश ही इस ब्लॉग में प्रस्तुत करता हूँ बाकी असल में जो मेरी लेखन कला है उसका इस्तेमाल तो सही वक़्त आने पर ही करूँगा.. वो क्या है कि रामबाण का इस्तेमाल उचित समय के आने पर ही किया जाता है ..

लेखन ही मेरा जीवन है तो लेखन ही मेरी कला है
इस लेखन को लेकर ही प्रीतम अब तक चला है

:- प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"

02 September 2014

दिल कहता है फिर

मेरा दिल मुझसे कहता है एक बार फिर से तलाश कर सच्ची चाहत की "प्रीतम"
तू मेरी फिकर मत कर मैं न ही पहले कभी टुटा था और न ही आगे कभी टूटूंगा

©शायर-प्रीतम"तम्मा"

01 September 2014

मत तोड़ो विश्वास माँ बाप का

हमारी लड़की कॉलेज जाएगी तो अपने पैरो में एक दिन खड़ी हो पायेगी
यही सपने होते है भरपूर विश्वास के साथ हर किसी माँ बाप की आँखों में
क्यूँ बच्चे उनके विश्वास को ठेंगा दिखाते हैं मैं ये सोचते हुए कही खो गया
जब मैंने देखा आज पार्क में स्कूली लड़की को किसी लड़के की बाहों में

माँ बाप के विश्वास को मत तोड़ो दोस्तों ये जानकर कि उन्हें कुछ पता नहीं
उन्हें पता नही मगर उन्हें धोखे में रखने में क्या तुम्हारी कोई भी खता नहीं
कहता है "प्रीतम" इस बारे में ऐ जवानी के जोश में उड़ते हुए नादान परिंदों
जो माँ बाप की नज़रो में गिर गया वो फिर कभी खुदा की नज़र में उठा नहीं

©शायर-प्रीतम "तम्मा"
©tammathewriter.blogspot.com

24 August 2014

जरा संभलकर

एक हसीना के पीछे दस दीवाने पड़े हैं
इसी वजह से तो हसीनो के तेवर बड़े हैं

दस में से नो दीवानों का टूटना तो तय है
मगर हसीनो तो बस हसीनो से ही भय है

कोई इनकी करदे तारीफ तो क्या कहना
इनको बस अपनी तारीफ में खुश रहना

इनके लिए चाहे रोता रहे कोई हज़ार बार
कोई फरक नहीं पड़ने वाला इनको यार

मगर ये रोये किसी के लिए बस एक बार
तो वो समझने लगता है कि इनको है प्यार

अरे जिनके पीछे पड़े हो दीवाने एक हज़ार
वो क्या जानेंगेे सच में होता है क्या ये प्यार

ये तो शमाँ है और शमाँ का काम है जलाना
इन्हें क्या कि कितना भी तड़पे एक परवाना

इसलिए मैं बस अपने काम से काम रखता हूँ
हसीनो से बेगाना तम्मा अपना नाम रखता हूँ

हर हसीना एक जेंसी नहीं है सबका सम्मान करो
न कहो किसीको बेवफा न उनका अपमान करो

वो किसी की बहन भी है तो किसीकी बेटी भी है
वो दीवानों को दर्द देकर भी खुद दर्द सहती भी है

मत सोचो इनके बारे में ये पहले ही सातवे आसमान पर
बस करते रहो नेक कर्म बाकि सब छोड़ दो भगवान पर

अब आखिर में मैं एक सन्देश हसीनो को देता हूँ
ये मत समझना कि मैं प्रीतम बस यूँही फेकता हूँ

सतर्क रहना तुम हसीनो का सबसे पहला काम है
मत भूलों कि बहुत रिश्तों से जुड़ा तुम्हारा नाम है

विश्वास न तोडना माँ बाप का भले ही सबका विश्वास तोड़ दो
माँ बाप का विश्वास बना रहे बस बाकी उस खुदा पर छोड़ दो

गम न करना गर कोई कितना भी रोये यहाँ तुम्हारी वजह से
बस याद रखना कभी माँ बाप न रोये कभी तुम्हारी वजह से

किसी दीवाने की तारीफ में अगर तुम्हारी सुन्दरता का जिक्र होता है
तो माँ बाप की तारीफ में बस तुम्हारी सफलता का ही फ़िक्र होता है

©पागल शायर- प्रीतम "तम्मा"

©tammathewriter.blogspot.com

19 August 2014

वादा रहा

माना कि आज अनजान है खुदा ये मेरा शहर मेरे हर किसी काम से
मगर वादा रहा एक दिन यही शहर जाना जायेगा "तम्मा" के नाम से

20 July 2014

मेरी इन आँखों में अब ना दर्द है और ना ही नशा है


मेरी इन आँखों में अब ना दर्द है और ना ही नशा है
बस जो कुछ भी है इनमें यारों वो बस मेरी सजा है
"प्रीतम" की सच्चाई ही "प्रीतम" की असली खता है
मगर इस खता में मेरे जीवन का अलग ही मजा है

विश्वासघाती चैन से जीते क्यूँ ये मुझको नही पता है
बस इतना पता है कि सबके दिल में रहता वो खुदा है
जो माने वो करते वफ़ा जो ना माने वो करते दगा है
भले-बुरे सब खुश रहे यही "प्रीतम" की दिल से दुआ है

दगाबाज़ तू पूछ अपनी अंतरात्मा से तू कितना बूरा है
क्यूँ तेरी मुस्कान में फुल हैं तो तेरी हरकतों में छुरा है
संभल जा वरना समझ एक दिन उसी छुरे से तू कटा है
भूलना मत सबकुछ देखने वाला तेरे दिल में बैठा खुदा है

किसीने दिल से आँसू बहाये तो खुदा खुदाई पर आएगा ही
खुदा खुदाई पर आया तो तुझे तेरी ये औकात बतायेगा ही
कहता हूँ मत दुखा किसी का दिल इस दिल में तो खुदा है
बाकी तू कौन और मै कौन ये तुझे भी तो मुझे भी पता है

©शायर-प्रीतम सिंह नेगी"तम्मा"

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Mob-9634756584
email- tammathewriter@gmail.com

17 July 2014

होता यही है इश्क़ में.....

........होता यही है इश्क़ में.....

जल रहा है परवाना और देख रही है शमाँ
होता यही है इश्क़ में फिर तू कहाँ मैं कहाँ
जल रहा है परवाना...........................

गिर जाता है वो परवाना शमाँ को चूमकर
गिर के फिर उड़ता ओ आता वही घूमकर
इश्क में अंधा परवाना होता हमें यही गुमाँ
जल रहा है परवाना और देख रही है शमाँ
होता यही है इश्क़ में फिर तू कहाँ मैं कहाँ

आये होश में परवाना तो हँसी उड़ाये ये ज़माना
कौन भला क्या जाने क्यूँ बन बैठा वो दीवाना
वो टुटा दिल रोये वो कभी यहाँ तो कभी वहाँ

जल रहा है परवाना और देख रही है वो शमाँ
होता यही है इश्क़ में फिर तू कहाँ अर मैं कहाँ

हो जाता वो ताबाह "प्रीतम" चाहत के अंजाम से
फिर जाना जाता है वो एक दिन शायर के नाम से
ओ दुनिया वालो इश्क ये क्यूँ देता है रे ऐंसी सजा

जल रहा है परवाना और देख रही है वो शमाँ
होता यही है इश्क़ में फिर तू कहाँ अर मैं कहाँ

शमाँ के परवाने हज़ार क्या जाने वो क्या है प्यार
जले कितने परवाने भी उसके लिए तो सब बेकार
उसके दिल में होती नहीं क्यूँ वो चाहत दर्द-ए-वफ़ा

जल रहा है परवाना और देख रही है वो शमाँ
होता यही है इश्क़ में फिर तू कहाँ अर मैं कहाँ

©शायर-प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"
Mob- 9634756584


13 July 2014

मुरझाया सा फूल..



मुरझाया  सा फूल

क्या तुमसे प्यार करके हम से हुई थी भूल
जो बन गया जीवन मेरा मुरझाया  सा फूल
मुरझाया सा फूल....... 

अरमान दिल के सारे ना जाने कहाँ बह गये
राहे वफ़ा में थे अकेले और हम अकेले रह गये
और हम अकेले रह गये
क्यूँ खुदा तूने ना की रे मेरी फरियाद वो कबूल
जो बन गया जीवन मेरा मुरझाया सा फूल
मुरझाया सा फूल.....

चाहत थी दिल की मेरी कोई कमी भी ना थी
राहे वफ़ा में ढूँढा तुझे और तू कहीं भी ना थी
और तू कहीं भी ना थी
क्या वफ़ा का सिला है ये या दुनिया का उसूल
जो बन गया जीवन मेरा मुरझाया सा फूल
मुरझाया सा फूल.....

थी काली रात जिंदगी मेरी तू ही थी पहली सुबह
कीमत चुकायी ऐंसी मैने कि मेरा सूरज ना उगाह
कि मेरा सूरज ना उगाह
क्या सूरजकी वो किरण भी थी मेरे लिए फिजूल
जो बनजो बन गया जीवन मेरा मुरझाया सा फूल
मुरझाया सा फूल.....
मुरझा या सा फू

शायर©तम्मा भाई

Just click this link to watch and listen this painful song..

http://youtu.be/sWHZ_YckzAI

Thank you

https://tammathewriter.blogspot.com

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12 July 2014

वो न जाने क्यों?







वो जाने क्यों आज भी देखते हैं मेरा फेसबुक अकाउंट को अकेले में
जिन्होंने डाल दिया था मुझ को इस दोस्ती-प्यार-महोब्बत के झमेले में
मुझसे दूर है सालो से और मेरा हाल देखने वो यहाँ अक्सर चले आते है
उनसे कह दो जिंदा है तम्मा और सदा ज़िंदा ही रहेगा ज़िन्दगी के रेले में
तुम्हे तो क्या? सब को माफ़ करके मैं एक नई राह की और चल पड़ा हूँ
अब खुश रहो आबाद रहो मगर अब दिल से साफ़ रहो अपनों के मेले मे

शायर©तम्मा भाई

तुम शादी क्यूँ नहीं करते...

मेरे दोस्त कहते हैं तम्मा भाई तुम शादी क्यूँ नहीं करते
किस बात की कमी तुम में और तुम किस बात से डरते
जवाब दे तो क्या दे ये प्रीतम तुम्हारे सवालों का  दोस्तों
ज़ख्म तन के भर जाते हैं मगर मन के कभी नहीं भरते

हाँ शादी तो करनी ही पड़ेगी ही कोई सच्चा साथी तो मिले
जो समझे सबके ज़ज़्बातो को ऐंसा कोई जज्बाती तो मिले
जिसका स्वार्थ हो सबको मान देने में ऐंसा स्वार्थी तो मिले
आँखों में सच्चे प्रेम की जोत हो जिसके वो ज्योती तो मिले

हाँ तब कर लूँगा मैं शादी नही तो जिंदगी भर नहीं करूँगा
मैं तन्हा ही खुश हूँ यारों तो क्या हुआ ग़र तन्हा ही मरुँगा

©शायर-प्रीतम"तम्मा"

10 July 2014

संक्षेप में मेरे अब तक की दास्ताँ (love in my life)



In 2005-2008

लेके आँखों में सपने हज़ार अपने घर से भगा था मैं
करने बुरे हालातों से हाथ दो चार यूँ आगे चला था मैं
छोटी उमर में ही बहुत सी ठोकरें खायी राहों में
कुछ करना है बस मुझे यही था मेरी निगाहों में

ऐंसी भी रात देखी जब मैं सोया था फुटपाथ में
फिर भी रोया घबराया मैं ऐंसे वैसे हालत में
महोब्बत का तो नाम ही ना था मेरे जज़्बात में
संवारनी है अपनी लाइफ यही था मेरे ख्वाब में

in 2008 – 2010

आस बुझने से पहले ही साईं शरण में जो या
लेके मेरी परीक्षा बहुत साईं बाबा को तरस आया
फिर मेरी ज़िंदगी में मानो कोई दुःख ही ना रहा
देता रहा बाबा मुझे वो वो जो जो मैं उनसे कहा

बहुत ही ज्यादा खुश था प्रीतम अपनी ज़िंदगी में
टेन्शन का कहीं नाम ना था दिन रात की घड़ी में 
मैं खुश था बहुत दिन प्यार का ख्याल आया
ख्याल आते ही मैंने किसी से अपना दिल लगाया

दो महीने प्यार में कैंसे निकले पता ही ना चला
वो कब मुझे दगा दे गई मुझे ये पता ही ना चला
इस क़दर टूट सा गया था ये प्रीतम ऐंसा होने पर
कि आँखों से आँसू भी ना निकले जी भर रोने पर

in last 2010
 
ऑफिस में मेरा दर्द देखकर किसी और ने सम्भाला
फिर जिसने सम्भाला था उसी ने ही मुझे ओर उजाडा
ऑफिस में हुई बहस तो ट्रांसफर मेरा देहरादून हो गया
देहरादून में आकर प्रीतम शराब के नशे में डूब सा गया  

टूट चुका बुरी तरह से वो फिर किसी से दिल ना लगाया 
हर रात तन्हाई में प्रीतम को सबने महखाने में ही पाया
मैं भी वही था मेरा दिल भी वही था बस हालत बदले थे
सिर्फ़ इस प्यार की वजह से ही मेरे वो जज़्बात बदले थे  

from 2011 to 2012

मगर चाहत की असली कहानी तो प्रीतम अब शुरु हुई थीं
एक ऐंसी लड़की से दिल लगा जो बेवफओ की गुरु हुई थी
मुझे नहीं करना है प्यार मेरे सीने में दिल है ना कलेजा है
मैंने ऐंसे कहा तो उसने कहा कि माता रानी ने तुम्हे भेजा है

कर गया उस पर यकीन प्रीतम बस उसकी इन्ही बातों पर
वो सच्ची महोब्बत दिखी मुझे उसकी काली काली आँखों पर
वो धीरे धीरे मुझे प्रीतम नहीं पति परमेश्वर तक कहने लगी
वो इसी तरह वो मेरे दिल में मेरी धड़कन बनकर रहने लगी

इतना विश्वास किया उस पे उसके बारे में सोचता रहता था
माता रानी ने मिलाया हमको गर्व के साथ सबसे कहता था
मगर वो??????  हा हा हा हा हा

वो एक बेवफा लड़की हर रोज पति-पति कहकर मेरे पैर छूती थी
मेरा दिल नहीं मेरा विश्वास जीतकर उस ने मेरी खुशियाँ लूटी थी
आजकल जब कभी भी मैं सोचता हूँ उन बीते हुए लम्हों के बारे में
तो कसम से यकीन ही नहीं होता की वो बेवफा इतनी बड़ी झूठी थी
उसकी तो सचमुच में ही आदत थी दिलवालों के दिलो से खेलना
हिस्सा बना उसके खेल का मैं भी शायद मेरी किस्मत भी फूटी थी

21 nov-2012 to till now

दो तीन साल लगे मुझे दिल पर लगे जख्मों से बाहर निकलने में
हाथ में उठा ली फिर से कलम मैंने अपनी ये किस्मत बदलने में
गहराई से सोचा तो जाना जो कुछ भी हुआ वो अच्छा ही तो हुआ
साई नाथ की किरपा है मुझपर उनकी किरपा से ही मै बचा हुआ

अब दिल में ना किसी का खयाल है ओर ना ही किसी से उम्मीद है
अब तो बस अपने लेखन से ही "प्रीतम" को दिल से सच्ची प्रीत हैं
मैं जानता हूँ जो कल मेरी हार थीं वही असल में मेरे कल की जीत हैं
शुक्रिया उन सब लड़कियों का कि सबक पास्ट का ही मेरी कामयाबी की नीव हैं

मेरी ये कहानी तो बहुत लंबी हैं यारों कि लगभग चार सालों का दौर हैं
इसी कहानी की वजह से तो आज ये कल का तम्मा भाई कुछ ओर हैं
आज कुछ ओर हैं तो कल कुछ ओर ही होगा फिर परसों भी कुछ ओर
मैं चुप रहूँगा ज़ुबान से पर मेरी कलम में हमेशा होता रहेगा ऐंसा शोर

मैं तीसरी क्लास में था जब तब मैंने पहली बार लेखन में कलम चलाई थी
उस उमर में क्या पता था मुझे खुदा ने मेरी ज़िंदगी इसी कलम को बनाई थी
पहले बीच बीच में लिखता था मगर अब हर रात को मैं लिखता ही रहता हूँ
मेरी मंज़िल हैं बॉलीवुड से हॉलीवुड तक छाना इसलिए मैं लिखता ही रहता हूँ 

धन्यवाद
© शायर- प्रीतम सिंह नेगी"तम्मा"