In 2005-2008
लेके आँखों में सपने
हज़ार अपने घर से भगा था मैं
करने बुरे हालातों से हाथ दो चार यूँ आगे चला था मैं
छोटी उमर में ही बहुत सी ठोकरें खायी राहों में
कुछ करना है बस मुझे यही था मेरी निगाहों में
ऐंसी भी रात देखी जब मैं सोया था फुटपाथ में
फिर भी रोया न घबराया मैं ऐंसे वैसे हालत में
महोब्बत का तो नाम ही ना था मेरे जज़्बात में
संवारनी है अपनी लाइफ यही था मेरे ख्वाब में
करने बुरे हालातों से हाथ दो चार यूँ आगे चला था मैं
छोटी उमर में ही बहुत सी ठोकरें खायी राहों में
कुछ करना है बस मुझे यही था मेरी निगाहों में
ऐंसी भी रात देखी जब मैं सोया था फुटपाथ में
फिर भी रोया न घबराया मैं ऐंसे वैसे हालत में
महोब्बत का तो नाम ही ना था मेरे जज़्बात में
संवारनी है अपनी लाइफ यही था मेरे ख्वाब में
in 2008 – 2010
आस बुझने से पहले ही साईं शरण में जो आया
लेके मेरी परीक्षा बहुत साईं बाबा को तरस आया
फिर मेरी ज़िंदगी में मानो कोई दुःख ही ना रहा
देता रहा बाबा मुझे वो वो जो जो मैं उनसे कहा
बहुत ही ज्यादा खुश था प्रीतम अपनी ज़िंदगी में
टेन्शन का कहीं नाम ना था दिन रात की घड़ी में
मैं खुश था बहुत एक दिन प्यार का ख्याल आया
ख्याल आते ही मैंने किसी से अपना दिल लगाया
दो महीने प्यार में कैंसे निकले पता ही ना चला
वो कब मुझे दगा दे गई मुझे ये पता ही ना चला
इस क़दर टूट सा गया था ये प्रीतम ऐंसा होने पर
कि आँखों से आँसू भी ना निकले जी भर रोने पर
लेके मेरी परीक्षा बहुत साईं बाबा को तरस आया
फिर मेरी ज़िंदगी में मानो कोई दुःख ही ना रहा
देता रहा बाबा मुझे वो वो जो जो मैं उनसे कहा
बहुत ही ज्यादा खुश था प्रीतम अपनी ज़िंदगी में
टेन्शन का कहीं नाम ना था दिन रात की घड़ी में
मैं खुश था बहुत एक दिन प्यार का ख्याल आया
ख्याल आते ही मैंने किसी से अपना दिल लगाया
दो महीने प्यार में कैंसे निकले पता ही ना चला
वो कब मुझे दगा दे गई मुझे ये पता ही ना चला
इस क़दर टूट सा गया था ये प्रीतम ऐंसा होने पर
कि आँखों से आँसू भी ना निकले जी भर रोने पर
in last 2010
ऑफिस में मेरा दर्द देखकर किसी और ने सम्भाला
फिर जिसने सम्भाला था उसी ने ही मुझे ओर उजाडा
ऑफिस में हुई बहस तो ट्रांसफर मेरा देहरादून हो गया
देहरादून में आकर प्रीतम शराब के नशे में डूब सा गया
टूट चुका बुरी तरह से वो फिर किसी से दिल ना लगाया
हर रात तन्हाई में प्रीतम को सबने महखाने में ही पाया
मैं भी वही था मेरा दिल भी वही था बस हालत बदले थे
सिर्फ़ इस प्यार की वजह से ही मेरे वो जज़्बात बदले थे
फिर जिसने सम्भाला था उसी ने ही मुझे ओर उजाडा
ऑफिस में हुई बहस तो ट्रांसफर मेरा देहरादून हो गया
देहरादून में आकर प्रीतम शराब के नशे में डूब सा गया
टूट चुका बुरी तरह से वो फिर किसी से दिल ना लगाया
हर रात तन्हाई में प्रीतम को सबने महखाने में ही पाया
मैं भी वही था मेरा दिल भी वही था बस हालत बदले थे
सिर्फ़ इस प्यार की वजह से ही मेरे वो जज़्बात बदले थे
from 2011 to 2012
मगर चाहत की असली कहानी तो प्रीतम अब शुरु हुई थीं
एक ऐंसी लड़की से दिल लगा जो बेवफओ की गुरु हुई थी
मुझे नहीं करना है प्यार मेरे सीने में दिल है ना कलेजा है
मैंने ऐंसे कहा तो उसने कहा कि माता रानी ने तुम्हे भेजा है
कर गया उस पर यकीन प्रीतम बस उसकी इन्ही बातों पर
वो सच्ची महोब्बत दिखी मुझे उसकी काली काली आँखों पर
वो धीरे धीरे मुझे प्रीतम नहीं पति परमेश्वर तक कहने लगी
वो इसी तरह वो मेरे दिल में मेरी धड़कन बनकर रहने लगी
इतना विश्वास किया उस पे उसके बारे में सोचता रहता था
माता रानी ने मिलाया हमको गर्व के साथ सबसे कहता था
मगर वो?????? हा हा हा हा हा
वो एक बेवफा लड़की हर रोज पति-पति कहकर मेरे पैर छूती थी
मेरा दिल नहीं मेरा विश्वास जीतकर उस ने मेरी खुशियाँ लूटी थी
आजकल जब कभी भी मैं सोचता हूँ उन बीते हुए लम्हों के बारे में
तो कसम से यकीन ही नहीं होता की वो बेवफा इतनी बड़ी झूठी थी
उसकी तो सचमुच में ही आदत थी दिलवालों के दिलो से खेलना
हिस्सा बना उसके खेल का मैं भी शायद मेरी किस्मत भी फूटी थी
एक ऐंसी लड़की से दिल लगा जो बेवफओ की गुरु हुई थी
मुझे नहीं करना है प्यार मेरे सीने में दिल है ना कलेजा है
मैंने ऐंसे कहा तो उसने कहा कि माता रानी ने तुम्हे भेजा है
कर गया उस पर यकीन प्रीतम बस उसकी इन्ही बातों पर
वो सच्ची महोब्बत दिखी मुझे उसकी काली काली आँखों पर
वो धीरे धीरे मुझे प्रीतम नहीं पति परमेश्वर तक कहने लगी
वो इसी तरह वो मेरे दिल में मेरी धड़कन बनकर रहने लगी
इतना विश्वास किया उस पे उसके बारे में सोचता रहता था
माता रानी ने मिलाया हमको गर्व के साथ सबसे कहता था
मगर वो?????? हा हा हा हा हा
वो एक बेवफा लड़की हर रोज पति-पति कहकर मेरे पैर छूती थी
मेरा दिल नहीं मेरा विश्वास जीतकर उस ने मेरी खुशियाँ लूटी थी
आजकल जब कभी भी मैं सोचता हूँ उन बीते हुए लम्हों के बारे में
तो कसम से यकीन ही नहीं होता की वो बेवफा इतनी बड़ी झूठी थी
उसकी तो सचमुच में ही आदत थी दिलवालों के दिलो से खेलना
हिस्सा बना उसके खेल का मैं भी शायद मेरी किस्मत भी फूटी थी
21 nov-2012 to
till now
दो तीन साल लगे मुझे दिल पर लगे जख्मों से बाहर निकलने में
हाथ में उठा ली फिर से कलम मैंने अपनी ये किस्मत बदलने में
गहराई से सोचा तो जाना जो कुछ भी हुआ वो अच्छा ही तो हुआ
साई नाथ की किरपा है मुझपर उनकी किरपा से ही मै बचा हुआ
अब दिल में ना किसी का खयाल है ओर ना ही किसी से उम्मीद है
अब तो बस अपने लेखन से ही "प्रीतम" को दिल से सच्ची प्रीत हैं
मैं जानता हूँ जो कल मेरी हार थीं वही असल में मेरे कल की जीत हैं
शुक्रिया उन सब लड़कियों का कि सबक पास्ट का ही मेरी कामयाबी की नीव हैं
मेरी ये कहानी तो बहुत लंबी हैं यारों कि लगभग चार सालों का दौर हैं
इसी कहानी की वजह से तो आज ये कल का तम्मा भाई कुछ ओर हैं
आज कुछ ओर हैं तो कल कुछ ओर ही होगा फिर परसों भी कुछ ओर
मैं चुप रहूँगा ज़ुबान से पर मेरी कलम में हमेशा होता रहेगा ऐंसा शोर
मैं तीसरी क्लास में था जब तब मैंने पहली बार लेखन में कलम चलाई थी
उस उमर में क्या पता था मुझे खुदा ने मेरी ज़िंदगी इसी कलम को बनाई थी
पहले बीच बीच में लिखता था मगर अब हर रात को मैं लिखता ही रहता हूँ
मेरी मंज़िल हैं बॉलीवुड से हॉलीवुड तक छाना इसलिए मैं लिखता ही रहता हूँ
धन्यवाद
© शायर- प्रीतम सिंह नेगी"तम्मा"