something about the blog..

जो कुछ भी सही और साफ़ मेरे मन में आता है मैं बस वही इस ब्लॉग में लिखता हूँ.. वेंसे भगवान की दया और कुछ बेवफाओं की असीम कृपा से जो कुछ भी लेखन की कला मेरे दिलो दिमाग में बस गई है , उस लेखन कला का मैं न के बराबर अंश ही इस ब्लॉग में प्रस्तुत करता हूँ बाकी असल में जो मेरी लेखन कला है उसका इस्तेमाल तो सही वक़्त आने पर ही करूँगा.. वो क्या है कि रामबाण का इस्तेमाल उचित समय के आने पर ही किया जाता है ..

लेखन ही मेरा जीवन है तो लेखन ही मेरी कला है
इस लेखन को लेकर ही प्रीतम अब तक चला है

:- प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"

20 July 2014

मेरी इन आँखों में अब ना दर्द है और ना ही नशा है


मेरी इन आँखों में अब ना दर्द है और ना ही नशा है
बस जो कुछ भी है इनमें यारों वो बस मेरी सजा है
"प्रीतम" की सच्चाई ही "प्रीतम" की असली खता है
मगर इस खता में मेरे जीवन का अलग ही मजा है

विश्वासघाती चैन से जीते क्यूँ ये मुझको नही पता है
बस इतना पता है कि सबके दिल में रहता वो खुदा है
जो माने वो करते वफ़ा जो ना माने वो करते दगा है
भले-बुरे सब खुश रहे यही "प्रीतम" की दिल से दुआ है

दगाबाज़ तू पूछ अपनी अंतरात्मा से तू कितना बूरा है
क्यूँ तेरी मुस्कान में फुल हैं तो तेरी हरकतों में छुरा है
संभल जा वरना समझ एक दिन उसी छुरे से तू कटा है
भूलना मत सबकुछ देखने वाला तेरे दिल में बैठा खुदा है

किसीने दिल से आँसू बहाये तो खुदा खुदाई पर आएगा ही
खुदा खुदाई पर आया तो तुझे तेरी ये औकात बतायेगा ही
कहता हूँ मत दुखा किसी का दिल इस दिल में तो खुदा है
बाकी तू कौन और मै कौन ये तुझे भी तो मुझे भी पता है

©शायर-प्रीतम सिंह नेगी"तम्मा"

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