something about the blog..

जो कुछ भी सही और साफ़ मेरे मन में आता है मैं बस वही इस ब्लॉग में लिखता हूँ.. वेंसे भगवान की दया और कुछ बेवफाओं की असीम कृपा से जो कुछ भी लेखन की कला मेरे दिलो दिमाग में बस गई है , उस लेखन कला का मैं न के बराबर अंश ही इस ब्लॉग में प्रस्तुत करता हूँ बाकी असल में जो मेरी लेखन कला है उसका इस्तेमाल तो सही वक़्त आने पर ही करूँगा.. वो क्या है कि रामबाण का इस्तेमाल उचित समय के आने पर ही किया जाता है ..

लेखन ही मेरा जीवन है तो लेखन ही मेरी कला है
इस लेखन को लेकर ही प्रीतम अब तक चला है

:- प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"

01 September 2014

मत तोड़ो विश्वास माँ बाप का

हमारी लड़की कॉलेज जाएगी तो अपने पैरो में एक दिन खड़ी हो पायेगी
यही सपने होते है भरपूर विश्वास के साथ हर किसी माँ बाप की आँखों में
क्यूँ बच्चे उनके विश्वास को ठेंगा दिखाते हैं मैं ये सोचते हुए कही खो गया
जब मैंने देखा आज पार्क में स्कूली लड़की को किसी लड़के की बाहों में

माँ बाप के विश्वास को मत तोड़ो दोस्तों ये जानकर कि उन्हें कुछ पता नहीं
उन्हें पता नही मगर उन्हें धोखे में रखने में क्या तुम्हारी कोई भी खता नहीं
कहता है "प्रीतम" इस बारे में ऐ जवानी के जोश में उड़ते हुए नादान परिंदों
जो माँ बाप की नज़रो में गिर गया वो फिर कभी खुदा की नज़र में उठा नहीं

©शायर-प्रीतम "तम्मा"
©tammathewriter.blogspot.com