something about the blog..

जो कुछ भी सही और साफ़ मेरे मन में आता है मैं बस वही इस ब्लॉग में लिखता हूँ.. वेंसे भगवान की दया और कुछ बेवफाओं की असीम कृपा से जो कुछ भी लेखन की कला मेरे दिलो दिमाग में बस गई है , उस लेखन कला का मैं न के बराबर अंश ही इस ब्लॉग में प्रस्तुत करता हूँ बाकी असल में जो मेरी लेखन कला है उसका इस्तेमाल तो सही वक़्त आने पर ही करूँगा.. वो क्या है कि रामबाण का इस्तेमाल उचित समय के आने पर ही किया जाता है ..

लेखन ही मेरा जीवन है तो लेखन ही मेरी कला है
इस लेखन को लेकर ही प्रीतम अब तक चला है

:- प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"

20 November 2015

एक पल में

एक पल में अपने प्यार से मुझे सातवें आसमान पर बिठा देते हो
दूसरे ही पल में मजबूरियों की आड़ में मुझे ज़मीन पर गिरा देते हो
ऐ तमन्ना तुम मुझे कभी वो हंसना तो कभी ये रोना सिखा देते हो
मैं देखता हूँ सपने तुम्हारे साथ कल के तो तुम नींद से जगा देते हो