something about the blog..

जो कुछ भी सही और साफ़ मेरे मन में आता है मैं बस वही इस ब्लॉग में लिखता हूँ.. वेंसे भगवान की दया और कुछ बेवफाओं की असीम कृपा से जो कुछ भी लेखन की कला मेरे दिलो दिमाग में बस गई है , उस लेखन कला का मैं न के बराबर अंश ही इस ब्लॉग में प्रस्तुत करता हूँ बाकी असल में जो मेरी लेखन कला है उसका इस्तेमाल तो सही वक़्त आने पर ही करूँगा.. वो क्या है कि रामबाण का इस्तेमाल उचित समय के आने पर ही किया जाता है ..

लेखन ही मेरा जीवन है तो लेखन ही मेरी कला है
इस लेखन को लेकर ही प्रीतम अब तक चला है

:- प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"

09 July 2014

दिल तोड़ने वालों से "प्रीतम" के कुछ सवाल..


"ये पंक्तियाँ सिर्फ़ उन लोगो के लिए हैं जो किसी का दिल तोड़ते हैं
जो कर के वादे वफ़ा चाहतों में बेरहमी से किसी का साथ छोड़ते हैं"


.......
 
क्यूँ क्यूँ क्यूँ खेलते हो तुम लोग किसी के प्यार भरे दिल से
क्या खेलते वक्त तुम्हारी अंतरात्मा तुमसे सवाल नहीं करती
वो दिल तोड़कर जी लेते हो तुम अपनी जिंदगी बड़े आराम से
क्या तुम्हारी ज़िंदगी भी कभी इस पाप का ला नहीं करती

एक प्यास के लिए ही तुम ना जाने क्या-क्या वादे कर लेते हो
क्या वादे तोड़ने से आत्मा आपकी आंसु का ख्याल नहीं करती
इतने भी पत्थर दिल ना बनो चाहत में किसी को धोखा देने वालों
किसी के दर्द--दिल से बहे आँसू तुम्हे कभी खुशहाल नहीं करती
क्या तुम्हारी आत्मा वादे तोड़ने पर आंसुवो का ख्याल नहीं करती

दिल तोड़ते वक्त सोच लेना तुम खुदा का इस दुनिया में वजूद है 
किसी के आँखों से बहे दर्द--आँसू तुम्हारे किए पाप का सबूत है
दिल तोड़ने से पहले पूछना अपनी आत्मा से क्या तुझे ये कबूल है
फिर अंतरात्मा ख़ुद कहेगी कि वो सही है या फिर तेरी बड़ी भूल है

@ शायर-प्रीतम सिंह नेगी"तम्मा"

लेखन ही मेरी ताकत है और लेखन से ही मेरा नाम है....©tamma

Shayar-Preetam Singh Negi"tamma"
लेखन ही मेरी ताकत है और लेखन से ही मेरा नाम है
इस लेखन में ही बीत ती फिरतीं मेरी हर सुबह शाम है

आजकल मुझे न दिन में चैन है और ही रात मे आराम है
मंज़िल को हांसिल करने के लिए मुझे ढेर सारा काम है
क्या हुआ जो कुछ हालातों ने मुझे कर दिया बदनाम है
इसी बदनामी के साथ तो मुझे छूना अपना आसमान है


लेखन ही मेरी ताकत है और लेखन से ही मेरा नाम है
इस लेखन में ही बीत ती फिरतीं मेरी हर सुबह शाम है


टूटकर बिखक गिरकर संभलकर भरी ये नई उड़ान है
दिल पर लगे जख्मों ने मेरे हौंसलों को दी नई जान है
उन्हीं जख्मों के साथ आज भी कल भी मेरी पहचान है
दिल तोड़ने वालों को मेरी बद्‌दुआ नही मेरा सलाम है

लेखन ही मेरी ताकत है और लेखन से ही मेरा नाम है
इस लेखन में ही बीत ती फिरतीं मेरी हर सुबह शाम है

मैं हार नही मनुंगा अपनी मंज़िल को पाने के बाद भी
यूँ याद आता रहूँगा सबको दुनिया से जाने के बाद भी
मेरा संघर्ष ही मेरा दोस्त है तो मेरे ऊपर साईं हाथ भी
महफिल हूँ मैं महफिल से पहले तो महफिल के बाद भी

लेखन ही मेरी ताकत है और लेखन से ही मेरा नाम है
इस लेखन में ही बीत ती फिरतीं मेरी हर सुबह शाम है

©शायर-प्रीतम सिंह नेगी"तम्मा"