"ये पंक्तियाँ सिर्फ़ उन लोगो के लिए हैं जो किसी का दिल तोड़ते हैं
जो कर के वादे वफ़ा चाहतों में बेरहमी से किसी का साथ छोड़ते हैं"
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क्यूँ क्यूँ क्यूँ खेलते हो तुम लोग किसी के प्यार भरे दिल से
क्या खेलते वक्त तुम्हारी अंतरात्मा तुमसे सवाल नहीं करती
वो दिल तोड़कर जी लेते हो तुम अपनी जिंदगी बड़े आराम से
क्या तुम्हारी ज़िंदगी भी कभी इस पाप का मलाल नहीं करती
एक प्यास के लिए ही तुम ना जाने क्या-क्या वादे कर लेते हो
क्या वादे तोड़ने से आत्मा आपकी आंसुओ का ख्याल नहीं करती
इतने भी पत्थर दिल ना बनो चाहत में किसी को धोखा देने वालों
किसी के दर्द-ए-दिल से बहे आँसू तुम्हे कभी खुशहाल नहीं करती
क्या तुम्हारी आत्मा वादे तोड़ने पर आंसुवो का ख्याल नहीं करती
दिल तोड़ते वक्त सोच लेना तुम खुदा का इस दुनिया में वजूद है
किसी के आँखों से बहे दर्द-ए-आँसू तुम्हारे किए पाप का सबूत है
दिल तोड़ने से पहले पूछना अपनी आत्मा से क्या तुझे ये कबूल है
फिर अंतरात्मा ख़ुद कहेगी कि वो सही है या फिर तेरी बड़ी भूल है
@ शायर-प्रीतम सिंह नेगी"तम्मा"