something about the blog..

जो कुछ भी सही और साफ़ मेरे मन में आता है मैं बस वही इस ब्लॉग में लिखता हूँ.. वेंसे भगवान की दया और कुछ बेवफाओं की असीम कृपा से जो कुछ भी लेखन की कला मेरे दिलो दिमाग में बस गई है , उस लेखन कला का मैं न के बराबर अंश ही इस ब्लॉग में प्रस्तुत करता हूँ बाकी असल में जो मेरी लेखन कला है उसका इस्तेमाल तो सही वक़्त आने पर ही करूँगा.. वो क्या है कि रामबाण का इस्तेमाल उचित समय के आने पर ही किया जाता है ..

लेखन ही मेरा जीवन है तो लेखन ही मेरी कला है
इस लेखन को लेकर ही प्रीतम अब तक चला है

:- प्रीतम सिंह नेगी "तम्मा"

12 July 2014

वो न जाने क्यों?







वो जाने क्यों आज भी देखते हैं मेरा फेसबुक अकाउंट को अकेले में
जिन्होंने डाल दिया था मुझ को इस दोस्ती-प्यार-महोब्बत के झमेले में
मुझसे दूर है सालो से और मेरा हाल देखने वो यहाँ अक्सर चले आते है
उनसे कह दो जिंदा है तम्मा और सदा ज़िंदा ही रहेगा ज़िन्दगी के रेले में
तुम्हे तो क्या? सब को माफ़ करके मैं एक नई राह की और चल पड़ा हूँ
अब खुश रहो आबाद रहो मगर अब दिल से साफ़ रहो अपनों के मेले मे

शायर©तम्मा भाई

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