मेरे दोस्त कहते हैं तम्मा भाई तुम शादी क्यूँ नहीं करते
किस बात की कमी तुम में और तुम किस बात से डरते
जवाब दे तो क्या दे ये प्रीतम तुम्हारे सवालों का ऐ दोस्तों
ज़ख्म तन के भर जाते हैं मगर मन के कभी नहीं भरते
हाँ शादी तो करनी ही पड़ेगी ही कोई सच्चा साथी तो मिले
जो समझे सबके ज़ज़्बातो को ऐंसा कोई जज्बाती तो मिले
जिसका स्वार्थ हो सबको मान देने में ऐंसा स्वार्थी तो मिले
आँखों में सच्चे प्रेम की जोत हो जिसके वो ज्योती तो मिले
हाँ तब कर लूँगा मैं शादी नही तो जिंदगी भर नहीं करूँगा
मैं तन्हा ही खुश हूँ यारों तो क्या हुआ ग़र तन्हा ही मरुँगा
©शायर-प्रीतम"तम्मा"
किस बात की कमी तुम में और तुम किस बात से डरते
जवाब दे तो क्या दे ये प्रीतम तुम्हारे सवालों का ऐ दोस्तों
ज़ख्म तन के भर जाते हैं मगर मन के कभी नहीं भरते
हाँ शादी तो करनी ही पड़ेगी ही कोई सच्चा साथी तो मिले
जो समझे सबके ज़ज़्बातो को ऐंसा कोई जज्बाती तो मिले
जिसका स्वार्थ हो सबको मान देने में ऐंसा स्वार्थी तो मिले
आँखों में सच्चे प्रेम की जोत हो जिसके वो ज्योती तो मिले
हाँ तब कर लूँगा मैं शादी नही तो जिंदगी भर नहीं करूँगा
मैं तन्हा ही खुश हूँ यारों तो क्या हुआ ग़र तन्हा ही मरुँगा
©शायर-प्रीतम"तम्मा"
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