Shayar-Preetam Singh Negi"tamma" |
इस लेखन में ही बीत ती फिरतीं मेरी हर सुबह शाम है
आजकल मुझे न दिन में चैन है और न ही रात मे आराम है
मंज़िल को हांसिल करने के लिए मुझे ढेर सारा काम है
क्या हुआ जो कुछ हालातों ने मुझे कर दिया बदनाम है
इसी बदनामी के साथ तो मुझे छूना अपना आसमान है
लेखन ही मेरी ताकत है और लेखन से ही मेरा नाम है
इस लेखन में ही बीत ती फिरतीं मेरी हर सुबह शाम है
टूटकर बिखकर गिरकर संभलकर भरी ये नई उड़ान है
दिल पर लगे जख्मों ने मेरे हौंसलों को दी नई जान है
उन्हीं जख्मों के साथ आज भी कल भी मेरी पहचान है
दिल तोड़ने वालों को मेरी बद्दुआ नही मेरा सलाम है
लेखन ही मेरी ताकत है और लेखन से ही मेरा नाम है
इस लेखन में ही बीत ती फिरतीं मेरी हर सुबह शाम है
मैं हार नही मनुंगा अपनी मंज़िल को पाने के बाद भी
यूँ याद आता रहूँगा सबको दुनिया से जाने के बाद भी
मेरा संघर्ष ही मेरा दोस्त है तो मेरे ऊपर साईं हाथ भी
महफिल हूँ मैं महफिल से पहले तो महफिल के बाद भी
लेखन ही मेरी ताकत है और लेखन से ही मेरा नाम है
इस लेखन में ही बीत ती फिरतीं मेरी हर सुबह शाम है
©शायर-प्रीतम सिंह नेगी"तम्मा"
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